गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

व्यायाम की भूमिका (मोटापा – कारण और निवारण) भाग III/III


व्यायाम की भूमिका (मोटापा – कारण और निवारण) भाग III/III
 शारीरिक व्यायाम फैट कम करने में अहम भूमिका निभाता है। व्यायाम से मसल्स मजबूत होते हैं और कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। पूरे दिन मे सिर्फ जीवित रहने हेतु प्रत्येक किग्रा. मसल्स 44 - 55 कैलोरी खर्च करते हैं जबकि उसी कार्य के लिए फैट सिर्फ 4 - 5 कैलोरी खर्च करता है। व्यायाम कैलोरी बर्न करता है, पाचन दर को तेज करता है, खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है, मसल्स को ठीक रखता है और शरीर की फैट कम करने की क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में अतिरिक्त चर्बी वाले अधिकांश व्यक्ति ज्यादा खाने वाले नहीं होते हैं बल्कि व्यायाम नही करने वाले होते हैं।
            व्यायाम द्वारा फैट कम करने में मुख्य रुप से ऐरोबिक व्यायाम और वेट ट्रेनिग लाभदायक हैं। ऐरोबिक व्यायाम में मुख्यतः जाँगिग, साइक्लिग, ब्रिस्क वाँक, नृत्य, तैराकी इत्यादि आते हैं। अच्छे परिणाम के लिए इनको एकसमान गति से लम्बी अवधि तक करना चाहिए। सप्ताह में कम से कम तीन दिन 30 से 40 मिनट का कोई भी ऐरोबिक व्यायाम करें। 10 से 15 मिनट का शुरुआती व्यायाम हमारे शरीर के ग्लाइकोजिन को ईधन के रुप में खर्च कर शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है उसके बाद का समय फैट कम करता है। किसी भी शारीरिक कार्य हेतु उपयोग किया जाने वाला तत्कालीन ईंधन कार्बोहाइड्रेट अथवा ग्लाइकोजिन है। जैसे – टेबल से पुस्तक उठाना जैसे कार्य। अतः कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल ईधन के रुप में तुरत - फुरत के कार्यों में किया जाता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने के लिए आँक्सीजन की जरुरत नहीं पड़ती है। लेकिन अगर हम शारीरिक व्यायाम कुछ समय के लिए एकसमान गति से करते हैं तो हमारा शरीर ईधन के रुप में फैट का उपयोग करना शुरु कर देता है। उदाहरणार्थ अगर हम जाँगिग करते हैं तो दौड़ने के क्रम में हमारे दिल की धड़कन बढ़ जाती है, रक्त का संचार तेज हो जाता है और शरीर से पसीना निकलने लगता है। इसकी पूर्ती के लिए हमें अतिरिक्त आँक्सीजन की जरुरत पड़ती है और इसी क्रम में शरीर ग्लाइकोजिन की जगह फैट से ऊर्जा लेना शुरु कर देता है और फैट घटना शुरु हो जाता है। इसलिए जौगिंग, ब्रिस्क वाँक, साईक्लिग या ऐरोबिक व्यायाम फैट कम करने में मददगार होते है अगर एकसमान गति से ज्यादा देर तक किया जाए।
            अतः ऐरोबिक व्यायाम की अवधि ज्यादा होनी चाहिए तभी शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम हो पाएगी। बेहतर परिणाम हेतु सप्ताह में तीन दिन वेट ट्रेनिग और तीन दिन किसी भी तरह का ऐरोबिक व्यायाम करें। मसल्स में फैट के मुकाबले ज्यादा वजन होता है क्योंकि इसमें 70% पानी होता है जबकि फैट में पानी 22% होता है। अतः शुरुआती दिनों में अगर आपका वजन कम नहीं होता है तो दुखी होने की जरुरत नहीं है। फैट कम होकर मसल्स बढ़ने की प्रक्रिया में शरीर का वजन तो कम नहीं प्रतीत होता है परंतु हम अपने शरीर मे चुस्ती – फूर्ती और तरोताजगी का अनुभव कर सकते हैं।
            निष्कर्षतः फैट कम करने का मूल मंत्र व्यायाम और सही आहार है। अगर हम इस रुटीन पर कायम रहते हैं तो हम न सिर्फ अपनी शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करते हैं बल्कि अपनी शारीरिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं और शरीर के आकार को भी सही रुप देते हैं।यह याद रखने की जरुरत है कि शरीर की चर्बी का कम होना एक धीमी प्रक्रिया है। अतः धीरज रखें।

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