शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

डाइटिंग के दुष्परिणाम


डाइटिंग के दुष्परिणाम (मोटापा – कारण और निवारण) भाग I/III

            आज के आधुनिक जीवन शैली में मोटापा हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। आधुनिक जीवन शैली इतनी व्यस्तताओं भरी है कि हममें से अधिकांश लोगो के पास शारीरिक व्यायाम करने का समय ही नहीं है। अनियंत्रित खान-पान, खाने की जगह - बर्गर, पिज्जा, पैटीज, चाऊमीन और प्रोसेस्ड फूड ने हमारे दैनिक आहार में जगह बना ली है। अनुचित आहार एवं व्यायाम के अभाव में हमारे शरीर पर चर्बी (फैट) की परत चढ़ जाती है। शरीर में वसा की अधिकता से हमारी क्रियाशीलता में कमी आ जाती है, कोलेस्ट्रोल की मात्रा में वृद्धि होने लगती है तथा शुगर होने की संभावना बढ़ जाती है। तब हम इससे छुटकारा पाने के तरीके ढूढ़ने लगते हैं। ऐसे में जो सबसे सरल उपाय हमें नजर आता है, वो डाइटिंग है । महीने भर की डाइटिंग के बाद जब हम अपना वजन मापते हैं तो वजन कम पाते हैं और प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन हममें से अधिकांश लोगों को यह नहीं मालूम है कि डाइटिंग से हमारे शरीर का वजन तो कम हो जाता है परंतु हमारे शरीर की चर्बी जस की तस रहती है। वजन कम करने के लिए हमें अपने शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करने के बारे में सोचना चाहिए न कि केवल वजन घटाना। डाइटिंग द्वारा वजन कैसे कम होता है और इसके दुष्परिणाम क्या - क्या होते हैं, आइए इसपर एक नजर डालें।
            डाइटिंग की प्रकिया में हम अपने भोजन की मात्रा बहुत कम कर देते हैं। इस कारण हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है फलस्वरुप हमारे शरीर में ऊर्जा की मात्रा धटने लगती है और हमारे शरीर की उपापचय (मेटाबोलिज्म) दर धीमी हो जाती है। परिणामतः पहले जिस कार्य को करने में हमें ज्यादा कैलोरी खर्च करनी पड़ती थी उसी कार्य को करने में कम कैलोरी खर्च होती है। डाइटिंग के दौरान हमारा शरीर ये समझ नहीं पाता कि क्यों उसे ईंधन के रुप में कम कैलोरी प्राप्त हो रही है। फलस्वरुप शरीर की स्वाभाविक जीवन प्रकिया महसूस करती है कि शरीर मृत्यु की तरफ जा रहा है। अतः कुछ दिनों की डाइटिंग के उपरांत शरीर अपने आपको बचाने की प्रकिया में मसल्स से पोषक तत्व खींचना शुरु कर देता है परंतु हमारी चर्बी संरक्षित रहती है क्योंकि यह लम्बे समय तक जीवित रहने के दौरान काम आती है। हमारे मसल्स में पानी की भागीदारी 70% है और डाइटिंग से कम होने वाला वजन शरीर में पानी की मात्रा कम होने के कारण होता है। हमारा शरीर भोजन के रुप में लिए गए कार्बोहाइड्रेट को ग्लाइकोजिन में परिवर्तित कर मसल्स और लीवर में ऊर्जा के रुप में जमा रखता है। एक ग्राम ग्लाइकोजिन तीन ग्राम पानी के साथ रासायनिक रुप आबद्ध होकर शरीर में जमा रहता है। जब हम डाइटिंग के दौरान अपनी खुराक में कार्बोहाइड्रेट लेना कम कर देते हैं तब शरीर में ग्लाइकोजिन की मात्रा कम होने लगती है। परिणामस्वरुप पानी जो ग्लाइकोजिन के साथ आबद्ध रहता है शरीर से बाहर आ जाता है और वजन कम हो जाता है। परिणाम के तौर पर हम अपने चर्बी की बजाए शरीर के अधिकांश मसल्स ऊतकों को गँवा देते हैं जो कि हानिकारक ही नही बल्कि घातक भी है। इससे हमारा शरीर कमजोर हो जाता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मे कमी आती है फलतः हम पहले की तुलना में आसानी से रोग के शिकार हो सकते हैं। अतः डाइटिंग के बजाए फैट कम करने के अन्य उपाय अपनाएँ। 

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