मंगलवार, 27 नवंबर 2012

देश बचाओ अभियान – एक निवेदन


देश बचाओ अभियान – एक निवेदन
            एफ. डी. आई. पर सरकार की जीत हुई है।विपक्षी पार्टियाँ सरकार को देश के साथ धोखा करने वाला बता रही है। आमलोग भी इस मुद्दे की बारीकियों को समझने की कोशिश कर रहें हैं। लेकिन ये तो सच है कि वैश्वीकरण के इस दौर में बाजार उदारीकरण के कारण तमाम विदेशी कंपनियों ने अपने पैर भारत मे जमा लिए हैं और अन्य कंपनिया बाजार की असीम संभावनाओं को देखते हुए हमारे देश में धुसपैठ करने के लिए लालायित है और तमाम हथकंडे अपना रही है ताकि भारत से धन के दोहन में हिस्सेदार बन सके।
            पहले से ही जड़ जमा चुके बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय मे तमाम विकसित देश विकासशील देशों के उपर दबाव बनाकर अपने देश की कंपनियों को अन्य देशों में व्यापार करने का लाइसेंस दिलाने में लगे हैं ताकि इसके द्वारा उन देशों से पैसे कमाकर अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। क्या आपको याद है कि एक साल पहले और आज के दिन भारतीय रुपया डालर के मुकाबले कितना गिरा है? आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जो डालर 44 रुपया था आज उसकी कीमत 56 रुपया हो गया है। एक साल के भीतर रुपये में इस भारी गिरावट का कारण क्या है? क्या आप सोचते हैं कि ऐसा अमेरीकी अर्थव्यवस्था की उन्नति के कारण हो रहा है। नहीं, ऐसा भारतीय अर्थव्यवस्था के अवनति के कारण हो रहा है। भारतीय अर्थव्यस्था संकट के दौर से गुजर रही है। अन्य देशों के उत्पाद हमारे देश में महामारी की तरह फैले हुए हैं और हम सब इसके गिरफ्त में जाने-अनजाने बुरी तरह से जकड़े हुए हैं। परिणामस्वरुप अनेक भारतीय उधोग बंद हो रहे हैं। भारतीय बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हावी हो रहीं हैं। अगर अब हम उचित कदम नहीं उठाते हैं तो इसके गंभीर परिणाम उपभोक्ता होने के नाते हमें ही भुगतने होगें।
            आँकड़ो के अनुसार भारत में उत्पादित और खपत होने वाली वस्तुएं जैसे – चाय, शीतल पेय( कोल्ड ड्रिंक), स्नेक्स इत्यादि से लगभग 30,000 करोड़ से ज्यादा रुपया विदेशी मुद्रा विनिमय द्वारा देश से बाहर चला जाता है। एक कोल्ड ड्रिंक जिसकी लागत सिर्फ 70/80 पैसे होती है, दस रुपये या उससे ज्यादा में बेचा जाता है और आमदनी का अधिकांश हिस्सा विदेश चला जाता है। धन का यह निष्कासन भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करता जा रहा है। इससे हमारा रुपया अंतरराष्ट्रीय परिदृष्य में डालर के मुकाबले कमजोर होता चला जा रहा है। परिणामस्वरुप हम उन्ही वस्तुओं को प्रत्येक दिन ज्यादा कीमत देकर खरीद रहें हैं। उपभोक्ता होने के नाते इसका सीधा                                                                  और सबसे ज्यादा प्रभाव हमारी जेब पर ही पड़ता है। अतः हमें अपने हित के लिए सिर्फ और सिर्फ भारतीय उत्पादों को ही खरीदना और उनका उपयोग करना चाहिए। पेट्रोल में बढ़ती अंधाधुंध कीमतो की वजह से अगर हम विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार नहीं करेगें तो रुपया का और भी अवमूल्यन (डीवैलूएशन) होता जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था गिरती चली जाएगी। एक समय ऐसा आएगा कि हमें आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए भी सोचना पड़ेगा।
            भारतीय इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया था और विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई थी तथा महात्मा गाँधी के आह्वान पर स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर दिया गया था। समय आ गया है कि ऐसी स्थिति आने से पहले हम सचेत हो जाएँ और स्वहित तथा राष्ट्रहित में सिर्फ और सिर्फ भारतीय कंपनियों द्वारा उत्पादित वस्तुएं ही खरीदें।
            यदि आप अबतक की सारी बातों से सहमत हैं तो आइए हम सब मिलकर इसे एक अभियान (देश बचाओ अभियान) के रुप में शुरु करें और जितने ज्यादा लोगों को इस बारे में जागरुक कर सकते हैं, करें। हममें से प्रत्येक इस अभियान में मुख्य भूमिका में है क्योंकि हम ही इसके भुक्तभोगी हैं। समय आ गया है कि अपने उपर के इस अतिरक्त बोझ को उतार फेंकें। सिर्फ और सिर्फ यही एक रास्ता है जिससे हम अपनी देश की अर्थव्यवस्था को बचा सकते हैं। इसमें हमें अपनी जीवनशैली बदलने की जरुरत नहीं है बल्कि अपनी सोच बदलने की जरुरत है और विदेशी उत्पादों का जगह देशी उत्पादों का अपनाना है।
कैसे – आइए एक नजर डालें।
बाजार में उपलब्ध सभी तरह के उत्पाद भारतीय कंपनिया भी बनाती हैं।
उत्पादों की सूची –
कोल्ड ड्रिंक - कोका कोला, पेप्सी, लिम्का, मिरिंडा, स्प्राइट, कैम्पा इत्यादि की जगह लेमन जूस, फ्रूट जूस, लस्सी, दूध, नारियल पानी इत्यादि का सेवन करें।
साबुन - लक्स, लाइफबाँय, रेक्सोना, लिरिल, डव, पीयर्स इत्यादि की जगह सिन्थोल, गोदरेज, विप्रो, मार्गो, नीम, मेडीमिक्स इत्यादि का प्रयोग करें।
टूथपेस्ट - कोलगेट, क्लोज अप, पेप्सोडेंट, फारहंस इत्यादि की जगह नीम, बबूल, प्रामिस, मिस्वाक, डाबर के उत्पाद इत्यादि का उपयोग करें।
सेविंग क्रीम - पामोलिव, ओल्ड स्पाइस, जिलेट की जगह गोदरेज, इमामी इत्यादि का उपयोग करें।
पाउडर-  पाण्डस, ओल्ड स्पाइस, जाँनसन, शाँवस टू शाँवर इत्यादि की जगह संतूर, सिन्थाल, विप्रो, बोरोपल्स इत्यादि का उपयोग करें।
दुग्ध उत्पाद – अनिकस्प्रे, मिल्कमेड, एवरीडे इत्यादि की जगह अमूल, अमूल्या, इंडियाना का उपयोग करें।
शैम्पू – आल क्लीयर, नाईल, सनसिल्क, पैंटीन, हैड एंड शोल्डर इत्यादि की जगह लक्मे, वैलवेट और गोदरेज के उत्पाद का प्रयोग करें।
मोबाईल – बी. एस. एन. एल, एम. टी. एन. एल का ही प्रयोग करें।
खाद्य पदार्थ - के. एफ. सी., मैकडोनाल्ड, पिज्जा हट  इत्यादि की जगह तंदूरी चिकन, वडा – पाव, डोसा, उतपम इत्यादि खाएँ। 
रोजमर्रा के ऐसे अन्य भारतीय उत्पाद को पहचानें और विदेशी उत्पाद की जगह उसे खरीदें।
            प्रत्येक भारतीय उत्पाद जो हम खरीदते हैं हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यही तरीका है इस आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने का, खुद को और देश को समृद्ध बनाने का। वर्तमान दौर में हम और हमारा देश आर्थिक गुलामी की ओर जा रहा है। हम जाने-अनजाने अपनी वजह से ही ऐसी स्थिति का निर्माण कर रहें हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनिया वैश्वीकरण के नाम पर भारतीय अर्थव्यवस्था का दोहन कर रही है। भारत हमेशा से अन्य देशों के लिए सोने की चिड़िया रहा है। पहले हम गुलाम बना कर लूटे गए। अब इनके तरीके बदल गए हैं, लेकिन मकसद नहीं। उपनिवेशी मानसिकता ने प्रत्यक्ष रुप में भारत छोड़ दिया है लेकिन उनके उत्पादों को खरीद कर हम उनपर निर्भर हो रहे हैं और अप्रत्यक्ष रुप से उनके गुलाम बनते जा रहे हैं।               

            याद रखें – राजनीतिक स्वतंत्रता आर्थिक आजादी के बिना अनुपयोगी है। हमें अपने इतिहास से सबक लेना चाहिए और इसे दुहराने नहीं देना चाहिए। हम सब देशभक्त हैं। हम खुद को और अपने देश को अन्य देशों का आर्थिक गुलाम नहीं बनने देगें। आइए मिलकर संकल्प करें कि अब से जहाँ तक हो सकेगा स्वदेशी वस्तु का ही उपयोग करेगें और देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में अपना अमूल्य योगदान देकर इसे उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ाएँगें।
            अगर इस लेख ने आपके दिल को छुआ है, आपको सोचने पर मजबूर कर दिया है तो देश बचाओ अभियान में शामिल हों और इसे अपने प्रत्येक मित्रों, शुभेच्छुओं और जानने वाले को ई-मेल, फेसबुक से प्रेषित करें और अभियान में शामिल होने का आग्रह करें।
जय हिंद, जय भारत।



2 टिप्‍पणियां:

  1. साधुवाद, आँखें खोल देने वाला लेख। अगली बार खरीदारी से पहले ये जरुर सोचूगीं कि मेरा पैसा राष्ट्रहित में खर्च हो रहा है या नहीं‌
    Be Indian, buy indian.
    Riddhima Tiwari

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